Monday, March 8, 2010
पाक से बातचीत, आखिर क्यों?
एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच बातों का सिलसिला शुरू होने जा रहा है, मुंबई हमले के बाद हुये संबद्ध विच्छेद के पीछे दलील को जानना जरूरी था। सो सरकार ने दलील दी पाकिस्तान ने ये मान लिया है कि मुंबई हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ है लेकिन सरकार अपनी पीठ अभी और थपथपाती कि आंतकवादियों ने पुणे में धमाका कर सरकार की दलीलों को धूमिल और पाक की नीयत को साफ कर दिया है। इस धमाके में कई निर्दोष जाने खाक हो गई, इसलिये यह सवाल उठाना लाज़मी है कि यकायक ऐसा क्या हो गया कि मनमोहन सिंह की सरकार आंतकवाद के साये में पाकिस्तान से बातचीत को तैयार हो गई,आखिर क्यों मनमोहन सिंह और ग्रहमंत्री चिंदबरम देश की संसद और जनता को बार बार आश्वस्त करने के बावजूद पाकिस्तानी दबाव के आगे झुक गये। कल तक सरकार यह कह रही थी कि आंतकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकती। फिर अब क्या हुआ...देश की जनता भी जानना चाहती है कि हमारी सरकार पाकिस्तान के कूटनीतिक जाल में फंस गयी है?बहरहाल 25 फरवरी को होने वाली बातचीत का ऐजंडा क्या होगा आतंकवाद, कश्मीर मुद्दा,अमन और चैन की बड़ी बातें या अपने बेगुनाह होने की सफाई.....? मुम्बई हमले का जख्म अभी भरा ही नहीं था और अब ये पुणे ब्लास्ट। मुम्बई हमलों के दोषी पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहे है, वे भारत के खिलाफ साजिश रचने का कौई मौका नहीं गंवाना चाहते, ज़ेहाद के नाम पर खुलेआम निर्दोषों को मारने पर उतारू आतंकवादी पाकिस्तान की पनाह में छुपे बैठे है, और हमारे देश की सरकार पाक से बात करना चाहती है? आखिर हम उनसें क्यों और क्या बात करना चाह रहे है। पाकिस्तान हमें घाव पर घाव दे रहा है और हम दोस्ती का राग आलापने से बाज नहीं आ रहे। आखिर इस बातचीत से हल क्या निकलेगा अगर मुम्बई हमलों के बाद पाक को सारे सबूत देने के बावजूद उसकी तरफ से कोई कार्यवाही नहीं होने पर भी हम उनसे बात करने पर इतने उतारू है तो ये हमारी बेशर्मी की हद है। हमारे देश की ये विडम्बना है कि पिछले इकसठ सालों से पाकिस्तान से धोखा खाने के बावजूद हम पाकिस्तान की नियत पर भरोसा रखते है और हमारे राजनेता अपनी राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी को कूटनीतिक अमलीजामा पहना अपना पल्ला झाड़ लेते है बजाय ये सोचने के अब वक्त बातों का नहीं कार्यवाही का है, इससे पहले आम आदमी का भी सरकार से भरोसा उठ जाये सरकार इस विषय पर गंभीरता से सोचे इससे पहले की देर हो जाये। बहरहाल ये सवाल यक्ष प्रश्न की तरह जुड़ा है। पाक से बातचीत जरूरी है आखिर क्यों?..
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