Monday, March 8, 2010

ये कैसा अर्थशास्त्र

कहां तो चिराग जरूरी था पूरे शहर के लिये
कहां चिराग नहीं मयस्सर
आज एक घर के लिये...

वित्त मंत्री जी जरा सुनिये, आपने बजट तो तो पेश कर दिया, लेकिन इस कमर तोड़ महंगाई की मार झेल रही जनता के लिये आपका बजट किसी अभिशाप से कम नहीं । इस महंगाई को तर्कसंगत बताने के लिये आपके अर्थशास्त्र के तरकश में भले ही तीरों की कमी न हो, लेकिन दो वक्त की दाल रोटी के लिये जद्दोजहद करने वाला मध्यम वर्ग कहां आपके बाजार की गणित को समझ पायेगा। उसे तो आपके बजट से काफी उम्मीदे थी, पहले से ही रोजमर्रा की जरूरत की सारी चीजें उसकी पहुंच से दूर होती जा रही थी, रही सही कसर आपके बजट ने पूरी कर दी।
जनता त्रस्त, नेता भ्रष्ट,आम आदमी जाये तो कहां जाये... पहले ही मंदी ने लाखों लोगों को बेरोजगार कर दिया बाद में महंगाई ने खाने की थाली का हुलिया ही बदल दिया। आज आम आदमी नमक और चीनी जैसी बेहद जरूरी चीजों से भी महरूम हो रहा है। कभी किसी जमाने में महज प्याज के नाम पर सरकारें गिर जाती थी और आज शायद ही आम आदमी किलो में सब्जी घर ले जाता हो। पिछले दिनो महंगाई पर जितनी बहस हुई महंगाई उतनी बढ़ती गई। सरकार ने कभी मानसून को कोसा तो कभी अंतर्राष्ट्रीय बाजार की कीमतों का हवाला दे आश्वासन देने की कोशिश की, और जब कुछ ना हो सका तो कालाबाजारी के नाम पर राज्यों पर ठीकरा फोड़ दिया, लेकिन केन्द्र में सत्ता में बैठी सरकार ये भूल गई कि दिल्ली जैसे राज्य में जहां उन्हीं की सरकार है महंगाई ने पुराने सारे रिकार्ड तोड़ दिये, बहरहाल वित्त मंत्री जी ये तो पुरानी बातें हो गई पर आपके बजट ने तो और भी मायूस कर दिया। पहले आपने खाद पर सब्सिडी खत्म कर किसानों की कमर तोड़ दी। फिर बजट में पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ा किसानों को ही नहीं बल्कि आम आदमी का जीना मुहाल कर दिया। इस विकराल महंगाई में सीमित आमदनी में घर कैसे चलता है ये मध्यम वर्गीय लोग ही बेहतर तरीके से जान सकते है। लेकिन आपको इससे क्या फर्क पड़ता है, वैसे तो आपकी पार्टी आम आदमी की पार्टी होने का दम भरती है, और आपके ही राज में आदमी दो जून रोटी जुटाने के संघर्ष में पीसता चला जा रहा है। बजट में बड़े- बड़े वादे शायद ही कभी आम आदमी को छू पाते हो, सरकार की सभी नीतियां मात्र कभी फाईलो में कभी बातों में दबी रह जाती है जो सीधे तौर पर जन जीवन पर प्रभाव डालती है। तो नेता जी जरा गरीब जनता का भी ख्याल कीजिये आखिर इसके दम पर ही आप जीत कर सत्ता तक पहुंच पाते है जनता के विश्वास को कायम रखिये नहीं तो सत्ता का सिंहासन बदलते देर नहीं लगती है।

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